आज सुबह से ही डॉक्टर साहब के पास आने - जाने वालों का तांता लगा हुआ था। नहीं- नहीं, ये कोई बीमार लोग या फिर उनके संबंधी नहीं थे जो इलाज के लिए या पंजीकरण के लिए अपॉइंटमेंट लेने आए हों। डॉक्टर साहब इनसे बात करने के लिए क्लीनिक पर अपने चैंबर में बैठे भी नहीं थे।ये तो नौकरी के लिए एक विज्ञापन के जवाब में आने वाले वो बेरोजगार लोग थे जो ड्राइवर की नौकरी पाने के लिए आ रहे थे। डॉक्टर साहब इनसे अपने घर में ड्राइंग रूम के साथ बने अतिथि कक्ष में बैठ कर बात कर रहे