ये खेल बहुत लंबा चला। इस खेल में आवाज़ नहीं थी। चुपचाप खेलना था। आधी रात को ऐसे खेल खेलना निरापद रहता है जिनमें शोर- शराबा न हो। इसलिए सबका मन खेल में रमा।सवा चार बजने को आए। अब सबका विचार बना कि थोड़ी देर सो भी लिया जाए।एसी चल रहा था। कमरा ठंडा था। जगह कम नहीं पड़ी। आगोश दूसरे कमरे से एक गद्दा उठा कर नीचे बिछाने लगा तो साजिद ने टोक दिया, क्या ज़रूरत है इसकी। लेकिन जब बिछ ही गया तो आर्यन और साजिद एक साथ बेड से नीचे उतर कर उस पर आ लेटे।सिद्धांत बिस्तर से कूद