भाग रहीं हूं, मैं

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_*_*_*_*_*मैं सीमा कपूर भाग रहीं हूं ,आखि़र किससेशायद अपने आप से/शायद अपने डर से/ या फिर यह कहलो अपनो की इमोशनल ब्लैक मेलिंग से।थक चुकी हूं,हार महसूस कर रही हूंं,जीना चाहती हूं,खुली हवा में उड़ना चाहती हूं,पर ना जाने मेरे पर कट गए या कहीं अंधेरे में गायब हो गए हैं।।अजब-गजब रचनाएं हैं यह जिंदगी कभी खुशी बेची,कभी ग़म पाए,कभी आंसू छीपाए,जीवन के हजारों तरहां के रंगों में रंग कर अपने हिस्से में केवल काला ही रंग आएं_कभी-कभी मैं बहुत ही भावुक हो जाती हूं/जीवन के इन हिस्सों से परेशान हो जाती हूं/मन मर्ज़ी से जीवन व्यतीत नहीं कर सकती तो