ये समूचा विश्व सिर्फ एक भावना के चलते गतिमान है वो है विश्वास, कहा जाता रहा है कि " मानो तो मैं गंगा माँ हूँ, न मानो तो बहता पानी"। पर आज यहाँ पर बात गंगा माँ को मानने या न मानने को लेकर नही है, बात है कि जैसे हम भगवान को मानते हैं, हम ये मानते हैं कि भगवान का अस्तित्व है और वो कण-कण में विराजमान है। ठीक बैसे ही हम मानें या न मानें पर एक और शक्ति भी इस संसार में है जिसके होने का हम में से कई लोगों को प्रमाण मिला भी है