प्रीत ने डायरी वाली पॉलीथिन उठाई और उसे खोल कर उसमे रखी सभी चीजे निकाली।एक एक चीज उठाकर वो देखने लगा।एक घड़ी जो अच्छी कम्पनी की प्रतीत हो रही थी। 'आज भी इसकी चमक कतई कम नही है' प्रीत ने खुद से कहा और उसे अपनी सीधे हाथ की कलाई में पहन लिया।उसकी नजर चांदी की हल्के घुंघरू वाली एक पतली सी पायल पर पड़ी।'मम्मा की पायल' कहते हुए प्रीत ने नम आंखों से उसे स्पर्श किया और उसे अपनी कलाई में लपेट लिया।'इनके स्पर्श से तो मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मेरे मम्मा पापा मेरे पास ही हैं।कितना