दुनिया मे हवस की दरिंदगी है छाई एक माँ की कोख मे पलते बच्चे को ना यो, देख पाई lऐसा क्या है हवस का रूप अनोखा ,यो घर की इज़्ज़त भी ना इस के हाथ से है , बच पाई lइस के जाल मे जो फसता है गया ,रिश्ते नाते भूल इसी का हो लिया lइस हवस का हर बार होती, एक औरत ही क्यों शिकार ?ज़िन्दगी भर सहती क्यों ये अत्याचार ?..क्या पता ये हवस ,अगले पल कौन सा दरिंदगी का रूप दिखाती ,ज़िन्दगी भर एक औरत खुद को इस दरिंदगी से है बचाती...नूर जल्दी टफ्फिन दयो, मै ऑफ़िस के लिए लेट हो