मेरे शब्द मेरी पहचान - 1

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----वो दोस्ती ही क्या जिसमें तक़रार न हो----वो दोस्ती ही क्या जिसमें प्यार न हो ,वो सफलता ही क्या जिसमें इन्तजार न हो , दोस्ती तो दो आत्माओं का मिलन है ,पर वो दोस्ती ही क्या जिसमें तक़रार न हो ।।वो पानी की क्या जो प्यास न भरे ,वो साथी ही क्या जो विशवास न करे ,एक दोस्त का तो जन्म सिद्ध अधिकार होता है अपने दोस्त को पकााना ,पर वो दोस्त ही क्या जो बकवास न करे ,वो दोस्त ही क्या जिस पे ऐतबार न हो । वो दोस्ती ही क्या जिसमें तक़रार न हो ।।वो जिंदगी ही क्या जो इम्तिहान