घनी छाँव

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घनी छाँव महानगर की रेलमपेल । सब भागदौङ में व्यस्त हैं । घर के चारों ओर कंक्रीट का जंगल बना है , कहीं कोई जान पहचान नहीं । जो जानते हैं ,वे भी अपने आप में इतने अस्तव्यस्त हैं कि शायद ही कभी दुआ सलाम होती हो । सुबह सब हाथों में टिफन थामें फ्लैट से नीचे उतरते हैं तो सामने कैब तैयार खङी होती हैं । भागकर चढने के अलावा कोई चारा नहीं । नवीन को इस शहर में आए हुए दस साल होने को हैं । यहाँ इस शहर में पढने आया था , पढाई पूरी हुई