सुबह - सुबह पोस्टमैन एक चीट्ठी देकर गया है और देवेंद्र जी उसे लेकर देख रहे थे , उनके दिमाग में एक बात समझ नही आ रहा कि एकाएक विजय ने उन्हें चीट्ठी क्यों लिखा ? वैसे भी चीट्ठी के ऊपर विजय नाम छोड़ और कुछ भीनही लिखा गया है । बाध्य होकर उन्होंने चीट्ठी के लिफाफेको फाड़ा , अंदर से निकल आया चार - पांच पन्ने की एक चीट्ठी , लिखावट साफ है पर जैसे कांपते हुए हाथोंसे लिखा गया है कुछ पन्नो की यह चीट्ठी । देवेंद्र जी पहले से अंत तक एकबार चीट्ठी को देखकर फिर पहले