स्मृति का घर भोपाल में था। वह घर पहुंचकर आराम करती हैं। उसमें भी उसे सिर्फ विवान याद आ रहा था। बीते कुछ वर्षो में उन दोनों के बीच जो कुछ हुआ था उसके बावजूद उसने बहुत हद तक खुद को रोक लिया था या यूं कहें कि खुद को समझा लिया था। परंतु आज वो अपने आप को विवान के बारे में सोचने से नहीं रोक पा रही थी। यूं तो वो अक्सर विवान को सोचा करती थी। उसे अपने करीब महसूस करती थी पर आज वो याद करती हैं उस पहले दिन को जब उसकी मुलाकात विवान से