ये कहानी है एक औरत की। शायद उस औरत की जो इस समाज के बने नियमो से बुरी तरह जुझ रही है। अपनो से मिले धोखे और समाज़ में औरत को मिले स्थान को प्रतिचित्रित करती ये कहानी है केतकी की।Start,... केतकी नदी के किनारे बैठी थीएक दम शांत ... अपलक निहार रही थी नदी की धारा में। कुछ ढूढ़ रही थी शायद। कहीं अपना वज़ूद तो नहीं? उसकी नज़र अपनी परछाई पर जा के टिक जाती है जो नदी के पानी में बन रही थी। गौर से अपने चेहरे को देखा । उसे लगा जैसे वो किसी और को पानी मे देख