तू नहीं चलेगा साथ? नहीं अंकल, आज बहोत काम है, रीना है ना।। वो संभाल लेगी. कहना तो ये भी चाहता था की निकेत उसका पति है तो उसे ले जाओ पर माँ की परवरिश ने रोक लिया. वो चले गये..मै भी अन्दर आ गया. अब मेरा मन यहाँ नहीं लग रहा था..मै यहाँ से दूर फिर जर्मनी जाना चाहता था और फिर कभी कशिश की सूरत नहीं देखना चाहता था..तभी मेरे दिमाग में एक विकल्प आया. दोपहर का वक़्त था।। माँ खाना बना रही थी और पापा, मै डायनिंग टेबल पर माँ की राह देख रहे