दो तीन दिनों से उसके दिल में अजीब सी फिलिंग हो रही थी. बिना किसी वजह के कभी उसके अन्दर कोई अनजानी ख़ुशी का सागर उफान मारने लगता, तो कभी उसका मन अनजाने विरह और बेचैनी से व्याकुल हो उठता. उसका मन किसी काम में लग नहीं रहा था. उसकी ऐसी दशा क्यूँ हो रही थी? उसे कुछ पता लग नहीं रहा था. पर अब उसे ओम शांति ओम का शाहरुख खान का वह पोपुलर डायलोग अपनी ही ज़िन्दगी में सार्थक साबित होता हुआ प्रतीत होने लगा. "अभी भी वैसी ही दिख रही हैं. बस, चहरे पर थोड़ा सा फर्क