रामचरितमानस - मानस में व्यग्य

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3 रामचरितमानस में व्यग्य पाण्डव पत्नी द्रोपदी ने व्यंग्य बाण चलाकर अन्धे के अन्धे होते हैं, महाभारत के महाविनाशकारी युद्ध को जन्म दिया। मातेश्वरी रत्नावली के शब्द, जितनी प्रीति हाडमास से है, उतनी यदि राम से होती तो उद्धार हो गया होता। इस शब्द बाण ने भारतीय संस्कृति की आचार संहिता रामचरितमानस को जन्म दे दिया। व्यंग्य की धार बड़ी तीखी होती है। वह चौतरफा वार करने में समर्थ होती है। चेतना को उदीप्त बना देती है। तोप और तलवार का वार उतना असरदार नहीं होता जितना व्यंग्य का होता है। अब यहाँ एक सोच जन्म ले