तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 4

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अध्याय 4 "मनाली यहां आना।" गीता बड़े प्यार से बुलाई। "क्या बात है दीदी।" "आ बच्चे में बताती हूं।" हाथ में रखे पुस्तक को उल्टा रखकर मनाली उठी। एक छोटे से आभूषण की डिबिया को मनाली को गीता ने पकड़ाया। "यह ले लो ‌।" "यह क्या है दीदी ?" असमंजस से पूछा मनाली ने। "ले कर देखो।" आभूषण के डिब्बे को लेकर खोला। डिब्बे में दो ग्राम का सोने की चेन थी। शुद्ध के. डी. एम. सोना होने के कारण चमाचम चमक रहा था। "किसके लिए है यह चेन ?" "तुम्हारे लिए ही है।" गीता ने उसके हुक को उतार