पिछली सदी में स्त्री का सुई से कलम तक का सफ़र डाकू फूलन देवी तक

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पिछली सदी में स्त्री का सुई से कलम तक का सफ़र डाकू फूलन देवी तक नीलम कुलश्रेष्ठ [ बीसवीं सदी के उत्तरार्ध से स्त्री विमर्श ने द्रुत गति पकड़ी है. सारी दुनिया की स्त्रियां इस बात से वाकिफ़ हैं कि दुनिया के किसी भी देश में स्त्रियों की समाज के मन में सामाजिक स्थिति लगभग एक है. वे इस मुद्दे पर एकजुट भी खूब हो रही है. अहमदाबाद के गुजरात विश्व विद्ध्यालय की गत वर्ष सेवानिवृत्त अंग्रेज़ी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रंजना हरीश के अध्ययन का प्रिय विषय रहा है विभिन्न महिलायो की अंग्रेज़ी में लिखी या अँग्रेजी में अनुदित