नैना अश्क ना हो... - भाग 14

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इधर नवल जी साक्षी और नव्या को लेके घर पहुंचे। जैसे बच्चों के आ जाने से घर में जान आ गई थी। पर उन दोनों को ही पता था कि ये खुशी बस पल भर की है फिर रहना तो उन्हे अकेले ही है। तो क्यों ना हर पल को मजे से इंजॉय किया जाए ना की ये सोच कर दुखी हुआ जाए कि कल से फिर अकेले ही रहना है। चेंज कर नवल जी बोले, " नव्या चलो पत्ते हो जाए । क्या आज फिर कोशिश करोगी पापा को हराने की ? साक्षी आओ तुम भी