पहाड़ों में कैद रूह

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ये जीवन भी अजब दास्तां है। कब क्या किसके साथ हो जाये क्या पता। साथ चलता साथी कब फिसल कर दूर हो जाये कुछ कहा नहीं जा सकता । ये जीवन भी एक पहाड़ की तरह है ,जिस पर चढ़ कर शिखर तक पहुंचना ही जीवन का उद्देश्य लगता है। सभी इसी भावना के साथ तेज दौड़ रहे हैं कि सबसे पहले मैं पहुँचूँ शिखर पर। बस ये सोच कर सब दौड़ रहे हैं। शिखर छूने की होड़ में रास्ते की खूबसूरती का आनंद लेना ही भूल जाते हैं। इन हसीन वादियों में ही शुरू हुई थी एक अनोखी