कामनाओं के नशेमन - 19 - अंतिम भाग

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कामनाओं के नशेमन हुस्न तबस्सुम निहाँ 19 ‘’...अमल...क्या है ये सब...क्या हो रहा है। ये सस्पेंस खत्म करो। मेरा दम घुट रहा है। तब अमल ने दीवार पर लगी बेला की तस्वीर की ओर संकेत किया जिस पर बेला के फूलों की ही माला पड़ी थी और बेला का मुस्काता चेहरा दमक रहा था। मोहिनी ने दोनों हाथों से चेहरे को भींच लिया-‘‘..हे भगवान..ये क्या किया..?‘‘ वह सिंसकने लगी। फिर सहज होती बोली- ‘‘कब हुआ ये सब तुमने फोन क्यों नहीं किया?‘‘ ‘‘जिस दिन तुम गयीं उसी रात को। उससे मेरी असह्यता और निरीहता देखी नहीं गयी शायद। उसे महसूस