कामनाओं के नशेमन - 17

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कामनाओं के नशेमन हुस्न तबस्सुम निहाँ 17 दोपहर को मोहिनी एक आंधी की तरह कॉलेज से लौट कर बेला के कमरे में आयी और उससे लिपटते हुए बोली-‘‘जानती हो...आज दो सफलताएं मिलीं।‘‘ ‘‘कैसी सफलताएं..‘‘ बेला ने आश्चर्य से पूछा। ‘‘पहली सफलता तो यह कि मेरा कॉलेज में एप्वाइंटमेंट हो गया आज...‘‘ ‘‘और दूसरी...?‘‘ ‘‘..अमल बाबू से अमेरिका जाने का स्वीकृति पत्र भिजवा दिया दिल्ली।‘‘ बेला ने मोहिनी की आँखों में तैरती चमक को निहारते हुए मुस्कुरा कर कहा- ‘‘अमल मान गए...यह सिर्फ आपके बस की ही बात थी। मेरे लिए उन्होंने आप पर ही विश्वास किया। आपके यहाँ रहने से