ज़िन्दगी का नाम दोस्ती

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सोमवारसप्ताह का पहला दिन, बैसाख महीने की त्राहिमाम जैसी भीषण गरमी के प्रकोप से पसीने से लथपथ ऑफिस टाईम के पीक अवर्स की भीड़ को चीरते महात्मा सर्किल के पास सिटी बस के पीक-अप प्वाइंट पर बस के ड्राइवर ने उसकी रोज की आदत अनुसार अचानक मारी हुई हल्की ब्रेक के झटके की वजह से भरी हुई बस के पैसेंजर असंतुलित होने से आनेवाले मुसाफिरों की आसानी से बस में दाखिल होने का रास्ता आसान हो गया।जॉब पर जाने के दिनों के दरमियान सालों से षट्कोण जैसे बनाए हुए दिनचर्या के दिशानिर्देश के हिसाब से बिना चुके वो मानव भीड़