खुशबुएं पकड़ में कहां आती हैं

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उसे पक्का यकीन हो गया कि भावनाएं कहीं नहीं पहुंचतीं। वह कोई अन्तर्यामी तो है नहीं, पहुंचती भी होंगी, पर इतना वह ज़रूर कह सकता है कि भावनाओं की पावती नहीं आती। प्रत्यावर्तन का कोई ऐसा ज़रिया नहीं है जिससे वह मान ले कि उसका मन अपनी बात वहां रख आया है, जहां के लिए अरसे से छटपटाता आया है। हां, छटपटाता आया है। दो बरस हो गए। जबसे उसे मोनी की मौत का सदमा झेलना पड़ा है, दो वर्ष हो गए हैं। उसे याद नहीं कि इस अंतराल के क्या- क्या साक्ष्य, कैसे - कैसे उसके पास आ गए