कामनाओं के नशेमन - 8

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कामनाओं के नशेमन हुस्न तबस्सुम निहाँ 8 ‘‘यह आपका आशीर्वाद है बाबू जी।‘‘ बेला ने बहुत ही रूंघे गले से कहा।- ‘‘यही सब पा कर जिंदा हूँ। अब देखिए न आज मेरी शादी की सालगिरह है और मुझे आज पूरी तरह सिंगार करना चाहिए, एक सुहागन की तरह लेकिन मैं कितनी विवश हूँ कि मैं ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी होकर अपने गले में पड़ा यह हार भी नहीं निहार सकती।‘‘ कहते हुए बेला फफक कर रो पड़ी। केशव नाथ जी उस क्षण जैसे बेला को देखते भर रह गए। वह बेला की इस निरीहता पर पूरी तरह आहत होकर