कामनाओं के नशेमन - 4

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कामनाओं के नशेमन हुस्न तबस्सुम निहाँ 4 वह अभी तक बेड के पास खड़ा मोहिनी के पूरे आकार को हिंस्रता से घूर रहा था। उसकी नाईटी पर पड़ी सिलवटों के अर्थ को जैसे वह बड़े अशलील ढंग से सोचने लगा था। स्त्री के चेहरे पर जो एक खुमारी वैसे पलों के बीत जाने के बाद चढ़ आती है, शायद वह उसे एक सुलगती चिंनगारियों सी महसूस करता जा रहा था। मोहिनी शायद उसकी आँखों में उस प्रतिक्रिया को गहराई से महसूस करना चाह रही थी। जिसके विस्फोट के लिए वह अपने आप को पूरी तरह तैयार कर ले। एक भयावह