कामनाओं के नशेमन - 3

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कामनाओं के नशेमन हुस्न तबस्सुम निहाँ 3 ‘‘हाँ...याद है‘‘ अमल ने कहा...‘‘और मैने तुम्हारे हाथों को परे कर दिया था...शायद एक उपेक्षा से।...यही याद दिलाना चाहती हो न...?‘‘ ‘‘नहीं, तुम्हें आहत करने के लिए याद दिलाना नहीं चाह रही थी, बस अभी तुम्हारे इस स्पर्श से वह पल याद आ गए।‘‘ मोहिनी ने कुछ आत्मीय स्वरों में कहा- ‘‘मेरे कंधे से हाथ हटा क्यों लिया। मैने तो ऐसा मना नहीं किया। सिर्फ पूछा भर है यह जानने के लिए कि तुममें यह विवशता आई क्यों,...लाओ मैं ही तुम्हें बांहों में भरे लेती हूँ‘‘ इतना कह कर एक पूरी उष्णता के