कामनाओं के नशेमन हुस्न तबस्सुम निहाँ 2 अमल फ्रेश हो कर ड्राइंग रूम में आकर बैठ गए थे। मोती से एक शीशे का गिलास मांगा। वह किचेन से स्टील का गिलास उठा लाया। अमल ने कुछ दबे स्वरों में कहा, ‘‘स्टील का नहीं, शीशे का गिलास चाहिए।‘‘ वह दोबारा किचेन में चला गया। मोहिनी खुद शीशे का गिलास लेकर आई। मोती प्लेट लेकर आया था। सामने शीशे का गिलास रखते हुए मोहिनी ने बड़े कुतुहल के साथ अमल का चेहरा देखते हुए पूछा, ‘‘स्टील के गिलास पें पानी पीना कबसे छोड़ दिया है?‘‘ ‘‘थोड़ी सी व्हिसकी पियूंगा, बहुत थक गया