नैना अश्क ना हो... - भाग - 7

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शांतनु जी ने अपने दुख को अपने जब्त कर लिया था। उन्होंने निश्चय किया की मै जब तक जीवित हूं ,नव्या के आस पास भी गम की छाया ना पड़े इसका पूरा प्रयत्न करूंगा। शाश्वत नहीं है तो क्या हुआ ,जिसे वो अपने प्राणों से अधिक चाहता था वही अब मेरे लिए मेरा शाश्वत है। नव्या के आगे पूरी जिंदगी पड़ी थी ,उसे आगे बढ़ाना शांतनु जी अपना दायित्व समझते थे। यही सोचकर उन्होंने नव्या को फिर से कोचिंग जाने के लिए कहा। पर नव्या ने ये कह कर मना कर दिया कि " पापा मै नहीं