पागल-ए-इश्क़ - (पार्ट -4)

  • 6.3k
  • 2
  • 2k

कंटीन्यू पार्ट -4महक की कार तेज गती से घर की तरफ दौड़े जा रही थी.. महक पीछे की सीट पर बैठी बैठी सोच रही थी.. कि रेनू को जरूर कुछ आभास हों गया हैं.. तभी दयाल जी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा.. मेम... कहीं रेनू बिटिया को कोई शंका तो नहीं हुई..? यहीं तो मैं भी सोच रही हूं.. पता नहीं क्यों दिल बैठा जा रहा है... अब आप ही बताये दयाल जी ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए...? मेरे हिसाब से तो आपको अब सारी बात दोनों को बता देनी चाहिए...!हुम्म.. आप सही कह रहें है दयाल जी... आज रेनू का बर्थडे