भरोसा- -अनोखी प्रेम कथा (भाग 4)

  • 7k
  • 2
  • 2.6k

वह कुछ समझ पाती उससे पहले दोनो ने उन्हें पकड़ लिया।"कौन हो तुम?छोड़ो मुझे"।नाज़िया दोनो आदमियों की पकड़ से छूटने का प्रयास करने लगी।लेजिन उनकी पकड़ से छूटने में सफल नही हुई तब वह जोर से चीखी थी।रात के सन्नाटे को चीरती हुई उसकी चीख दूर तक चली गई थी।नाज़िया को बिल्कुल उम्मीद नही थी कि इतनी रात को उसे बचाने के लिए कोई आएगा।पर ऐसा नही हुआ।सड़क से गुजरते हुए विवेक ने उसकी चीख सुन ली।यू तो आजकल कोई फालतू में,बेमतलब किसी के पचड़े मे पड़ना नही चाहता।लोग सहायता की पुकार को अनसुनी कर देते है।मुसीबत में फसे की