एक लेखक की ‘एनेटमी‘ - 2

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एक लेखक की ‘एनेटमी‘ प्रियंवद (2) इन उलझे और आपस में लड़ते चीखते विचारों के पार उसके अंदर मृत्यु की गहरी तड़प थी। यह तड़प पहली बार एक तिलचट्‌टे की हत्या करने के बाद पैदा हुयी थी। उस रात, जब चाँद बेमन से आसमानी चौखट के बाहर निकल रहा था, और उल्लू अपनी चोंच में भरा हुआ चूहा ला कर अपने बच्चों को खिला रहा था, और दीए की रोशनी में नितम्बों की मांसलता का वैभव अंहकार में एेंठ रहा था, और दुर्भाग्य से बचाने के लिए कोई पहना हुआ तावीज टूट कर फर्श पर पड़ा था, बलूत की चौखट