जब मैं घर पहुँचा तो मेरी छोटी बहन "जीनत" चुप- चाप एक किताब पढ़ रही थी, मैं धीरे से गया और उसके आँखों को बंद कर चुप चाप खड़ा हो गया, उसने पूछा कौन है फिर मैंने कहा जल्दी पहचान छोटी कौन हूँ मैं? उसने मुस्कराते हुए कहा हामिद भाईजान आप आ गए फिर सब लोग कमरे से बाहर निकल आये और मुझे देखने लगे फिर मैने सालाम अर्ज किया, भाभी बोली आप ही का इन्तेज़ार हो रहा था, शाहबजादे बहुत देर कर दी आने में, फिर मैंंने भाईजान