लिखी हुई इबारत बड़ी बेसब्री से बेटे की पसन्द देखने का इंतज़ार करती डॉक्टर शिल्पा उस लड़की को देखकर चौंक गई। " ये क्या , शिशिर को यही मिली थी ?" सात वर्ष पहले किसी सम्बन्धी की ज़बरदस्ती का शिकार होकर गर्भवती हुई उस किशोरी को उसी ने तो छुटकारा दिलाया था उस मुसीबत से। " ठीक है माना कि लड़की की कोई गलती नहीं थी, पर मेरा ही बेटा क्यों ?" रसोई में आकर वह बड़बड़ाई।उसका मन कसैला हो उठा था। " क्या सारे समाज सुधार का ठेका हमने ही ले रखा है ?" " एक्सक्यूज़ मी । " पृष्ठ से उभरे स्वर को