1934 के न्यूरेम्बर्ग में एक जवान होती हुयी लड़की - 1

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1934 के न्यूरेम्बर्ग में एक जवान होती हुयी लड़की प्रियंवद (1) ‘‘तुम्हें कैसे पता ‘‘ ? ‘‘ क्या ‘‘ ? ‘‘ कि वह मर गए हैं ‘‘ ? अभी सर्दियाँ शुरु हुयी थीं पर ठंड बहुत थी। बूढ़ी हडिड्‌यों वाले जल्दी पड़ने वाली इस साल की सर्दियों को कोस रहे थे। शाम से ही गीला कोहरा नीचे उतरने लगता था जो सुबह तक बना रहता। जब तक रहता, बेहद ठंडा और घना होता। इसमें पहले पेड़ा की शाखें सफेद होतीं, फिर मकानों की छतें, फिर सड़कें, नदी, घाट और फिर नावें। अक्सर यह इतना घना होता कि सड़क किनारे लगे