ज़िन्दगी की धूप-छाँव - 8

  • 6.4k
  • 2.1k

ज़िन्दगी की धूप-छाँव हरीशं कुमार ’अमित' कारण लोकल बस में मैं एक और एक अन्य नवयुवक ‘केवल महिलाए’ वाली सीट पर साथ-साथ बैठे सफ़र कर रहे थे. एक स्टॉप पर बस जब रूकी तो चढ़नेवालों में एक वृद्धा भी थी. टिकट लेकर जब वह हमारी सीट के पास आई तो उसने मेरे साथ बैठे न