( तेरह )कभी- कभी ऐसा होता है कि अगर हम अपने बारे में सोचना बंद कर दें तो ज़िन्दगी हमारे बारे में सोचने लग जाती है। ज़िन्दगी कोई अहसान नहीं करती हम पर। दरअसल ज़िन्दगी के सफ़र में हमारे सपनों के बीज छिटक कर हमारे इर्द - गिर्द गिरते रहते हैं और जब उन्हें हमारे दुःख की नमी मिलती है तो उग आते हैं। सभी परिजन एक बार उल्लास और उत्साह से इकट्ठे हुए। मेरे बेटे की सगाई यहीं जयपुर में धूमधाम से संपन्न हुई। बस, इस बार फर्क सिर्फ़ इतना सा था कि घर में आने वाले मेहमानों की आवभगत