जीने के लिए - 5

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पिछली कहानी जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें। ------ पंचम अध्याय….--------------–-- समय अत्यंत धीमी गति से गुज़रता प्रतीत हो रहा था।जब खुशियां होती हैं तो समय भागता सा प्रतीत होता है, और दुःख के बोझिल पल पहाड़ से लगते हैं। एक वर्ष पश्चात हृदयाघात से ससुर जी की मृत्यु अचानक से हो गई, ब्लड प्रेशर के मरीज तो थे ही।हालांकि आरती उनका काफ़ी ध्यान रखती थी, परन्तु मृत्यु पर तो किसी का वश नहीं होता है, जब जहां जिस विधि आनी होती है, आ ही जाती है। पिता के अंतिम संस्कार पर दोनों भाई आए थे।त्रयोदशी के बाद राहुल