ज़िन्दगी की धूप-छाँव - 5

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ज़िन्दगी की धूप-छाँव हरीशं कुमार ’अमित' चोरी इतवार की शाम को साहब ने अपने दोस्तों के साथ अगले दिन दोपहर को किसी रेस्टोरेंट में खाना खाकर फिल्म देखने का प्रोग्राम बना लिया था. हालाँकि अगले पूरे हफ़्ते हैड क्लर्क को छुटटी पर रहना था, पर साहब को विश्वास था कि खुद उनकी और हैड क्लर्क की ग़ैरमौजूदगी में दफ़्तर के दोनों क्लर्क किसी-न-किसी तरह सब संभाल ही लेंगे. फिर चपरासी भी तो था. तीन-चार घण्टे की ही तो बात थी. बस उन लोगों को शाम की छुटटी हो जाने के समय यानी पाँच बजे तक दफ़्तर में मौजूद-भर रहना था