तुम ना जाने किस जहां में खो गए..... - 14 - खुशियों के वर्ष

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मनालीहमारे संस्थान की तरफ से हम लोग मनाली जा रहे थे। १५ दिनों का एडवेंचर ट्रिप था ये। काउंट डाउन शुरू था। पहली बार मैं किसी हिल स्टेशन जा रही थी। दिल्ली से हमारी बस तैयार थी। हम सब खूब उत्साहित थे। साथ में थे सोनी सर। आधी रात तक अंत्याक्षरी चलता रहा। सर ने भी एक से एक गाने सुनाए और मैं तो हर गाने में साथ दे ही रही थी। थक कर कब सोए सब , याद भी नहीं और जब नींद खुली - तो धरती अपने सर्वोत्तम रूप में सामने बिछी थी। हमारी बस रुकी थी ढाबे