तुम ना जाने किस जहां में खो गए..... - 11 आखिरी मुलाकात

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रेल द्रुत गति से दौड़ रही थी और उसके साथ ही कई - कई स्मृतियां भी कौंध रही थी मन में। बहुत सारी घटनाएं दिमाग में आ जा रही थीं। वो दिन जब हमारा स्नातक का परीक्षाफल आया था और कॉलेज जा रही थी मैं। सौरभ का भाई आया था एक पेपर लेकर। एक दुर्घटना में सौरभ को चोट आई थी और हाथ पर प्लास्टर चढ़ा था। तो मुझे ही उसका रिजल्ट लेकर आना था। पेपर में उसका क्रमांक एवम् अन्य जानकारियां थी।अपने विषय में मेरा कॉलेज में दूसरा स्थान था और सौरभ का भी रिजल्ट बहुत अच्छा रहा था। रिजल्ट