उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - अध्याय-9

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परिस्थितियों से संघर्ष:-दो दिन बाद जब प्रथम कॉलेज में था तो अनु आ गई।प्रथम तक सूचना पहुंची तो वह आ गया।बैठो अनु। तुम ठीक हो।हाँ मैं ठीक हूँ। आप ठीक हो ? हाँ मैं भी ठीक हूँ । यहीं बैठोगी कि विभाग में चलोगी क्योंकि मेरी एक क्लास बची है। उसको ले लेता हूँ फिर चलते है। ठीक विभाग में ही चलिए। चलो। वो प्रथम के क्लास लेते तक बैठी रही। फिर वहाँ से घर के लिए निकल गए।घर मे बता कर आई हो ?हाँ, बता दी हूँ। क्या बोले ?नाराज हैं और क्या। वो तो पहले ही बोले थे कि तुम्हारी मर्जी तो और