खुशियों की दहलीज़...

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अरुणा खिडकी से सट कर खड़ी थी। वो अपनी शादी से पहले का दिन याद कर रही थी , जब माँ ने उसे अपने कमरे में बुलाया था। कमरे मे जब वह पहुँची तो उसे एक उदासी महसूस हो रही थी। माँ के पास जाकर अरुणा ने देखा की माँ की आंखोँ के कोरो से आंसू छलक रहे थे। अरुणा की आंखें बडी हुई। उसकी माँ ने जब अरुणा को देखा तो अपने आँसुओ को पोछते हुए बोली," आ गयी।" "हा माँ।" अरुणा ने दबे स्वर में कहा। अब माँ ने कहना शुरु किया," देख बेटी, कल तेरी शादी है। मैने अपनी