तुम ना जाने किस जहां में खो गए..... - 9 - गली में आज चांद निकला

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सौरभ आया अगले दिन।"ये क्या किया, अपराजिता तुमने? कल शाम मुलाकात हुई मेरी। उसने बताया कि सड़क पर तुमने बेइज्जत किया उसे।""मेरा पत्र लौटा दिया उसने, इसलिए।" "अरे, ये तो उसकी मर्जी है रखे, ना रखे। छोड़ दो उसे तुम। मैंने बोला ना, तुम्हारे लिए सही नहीं है। अगर मेरे लिए कोई इतना करे तो जीवन भर उसका गुलाम बन जाऊं।"" अब मैं क्या करूं? तुम कुछ भी करके सब ठीक करो। अब कुछ बदतमीजी नहीं करूंगी।"तीन दिन बाद सौरभ आया मिलने। "अपराजिता, कल उससे मेरी मुलाकात हुई है। मैंने समझाया है तुम्हारे बारे में। शायद आज - कल में तुमसे मिलने