आधा आदमी - 14

  • 5.2k
  • 1
  • 1.9k

आधा आदमी अध्‍याय-14 ‘‘अरे पहिले घूम तो लूँ फेर देखी जाईगी.‘‘ ‘‘जईसी तेरी मरजी.‘‘ जजमानी में मिलें बधाई के पैसे से बेटी अम्मा ने सभी के साथ-साथ मुझे भी बाँटा दिया। मैंने बाँटा लेकर उन्हें सलाम किया। खाना खाने के बाद बेटी अम्मा ने कहा, ‘‘जिसे लेटना-बैठना हय वे छत पैं चली जायें.‘‘ ‘‘का गुरू, इहाँ इत्ती जल्दी सब सोई जात हय?‘‘ मैंने धीरे से चंदा से पूछा। ‘‘नाय बहिनी, इहाँ का टेम दूसरा हय सात बजे के बाद सब खान्जरा करती हय.‘‘ ‘‘चलव गुरू, देखी ई लोग का करती हय.‘‘ ‘‘तुम देखव, हम्म तो चली खान्जरा करने.‘‘ सुबह हुई