उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - आधाय-5

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शाम के 5 बजने में 2 मिनट शेष रह गये थे, वह चैक गया और एसटीडी से फोन लगाया। उसे मालूम था कि अनु फोन के पास खड़ी होगी।हैलो, हाँ अनु तुम ठीक हो।हाँ आप कैसे हो।मैं भी ठीक हूँ अनु, आज स्कूल नहीं जाना था क्या? 5 बजे का टाइम दिया था तुमने ?नहीं स्कूल तो गई थी बस तुमसे बात करनी थी करके जल्दी आ गई।तो मुझे बताना था मैं वहीं आ जाता।रोज-रोज देर से आउंगी ना तो घर वाले नाराज होंगे। मेरे भाई को तो थोड़ा शक भी हो गया है।कुछ बोल रहा था कया तुमको ?हाँ,