इक मुलाकात जरूरी है सनम।।।

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बहुत दिनों बाद सांवली अपने कंप्यूटर अौर कंप्यूटर टेबल की सफाई कर रही थी। अौर उसकी नजर टेबल पर रखी अपनी कॉम्पिटेटिव एक्जाम की बुक पड़ी। सांवली सफाई को परे रखकर अपनी बुक को पढ़ने लगीं। पढ़ते हुए अचानक उसे वो चेहरा याद आ जाता है। ललीत नाम की तरह सरल और सहज। उसी के प्रोत्साहन और विश्वास से मेरे कंपटीशन के एग्जाम की तैयारी चालू की थी। न जाने क्यों उसे मेरे भविष्य की बहुत चिंता थी एक में थी हमेशा उस पर गुस्सा और चिड़चिड़ करती थीं। लेकिन मैं कर दी जा सकती थी उसने मेरे सपने जो