जब कभी मैं ख़ुशी के बारे में सोचती हूँ तो मुझे एक मूवी का डायलॉग याद आ जाता है। “आज खुश तो बहुत होंगे तुम “ शायद इसलिए क्योकि कोई भी मुझसे ये सवाल पूछता ही नहीं या फिर मैं सबसे दूर हो गई हूँ, जो भी कहो लेकिन सच में ख़ुशी मेरे लिए सवाल ही बना गई है? जिसका जवाब मुझे सच में सोचने पर मजबूर कर देता है? या फिर ये कहु की की मेरे लिए ख़ुशी छोटे-से बच्चे की मुस्कान है, जो निश्छल और पवित्र है बिलकुल ईश्वर के सामान। जो मुझे मेरी सारी परेशानी ले जाती है