तुम ना जाने किस जहां में खो गए..... - 6 - हमारा मिलना

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'कोजी स्वीट्स कॉर्नर ' हर्ष खड़ा था अपने किसी परिचित के साथ। मैं और संयोगिता भी पहुंचे। सामने आया वो अजनबियों वाली मुस्कुराहट के साथ और इधर प्रेम में आकंठ डूबी मैं। आमने - सामने हम दोनों थे पर हमारे इरादों में जमीन - आसमान की भिन्नता थी। मैं अपने ५साल पुराने प्रिय से मिलने आयी थी और वो अपनी बात साफ करने के लिए। मेरी वाचलता कहीं खो सी गई थी। " हमको अच्छा नहीं लगता कोई हम नाम तिरा,कोई तुझ सा हो फिर नाम भी तुझ सा रखें।"- अहमद फ़राज़पहले से और दिव्य दिखता हुए हर्ष। दिल्ली बहुत रास