उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी अध्याय-3

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प्रणय निवेदन :-दूसरे दिन प्रथम ठीक 11 बजे मंदिर पहुँच गया। पूजा शुरू हो चुकी थी । आइये बैठिए प्रथम जी। अनु ने कहा । लिजिए थोड़ा चावल और फूल हाथ में ले लिजिए। अच्छा दीजिए, यहीं बैठ जाऊँ।हाँ बैठ जाइए। प्रथम बैठ गया और चावल और फूल हाथ में ले लिया। पूजा चल रही थी और बीच-बीच में हवा से अनु की साड़ी का आँचल उड़ उड़कर प्रथम के चेहरे से टकरा रहा था और प्रथम के शरीर में रह रहकर सिहरन पैदा हो रहा था । पूजा खत्म हुई तो अनु ने प्रथम से कहा आईए उधर सीढ़ियों पर बैठते हैं । हाँ चलिए। कैसे आए