ये दिल पगला कहीं का - 4

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ये दिल पगला कहीं का अध्याय-4 कुछ क्षण के मौन उपरांत सुनंदा बोल-" चन्द्रशेखर की प्रताड़ना और शोषण में अगर कोई मेरे साथ खड़ा रहा तो आनंद वो आप थे। आपने ही मेरे दोनों बच्चों को कभी पिता की कमी होने नहीं दी। आपके लिए मेरे हृदय में बहुत सम्मान है। मगर•••।" सुनंदा कहते-कहते चुप हो गयी। "मगर क्या? बोलो सुनंदा!" आनंद ने जोर देकर कहा। "बच्चें बड़े हो रहे है और समझदार भी। चन्द्रशेखर से भले ही उन्हें पिता समान दुलार कभी नहीं मिला! मगर अपने पिता का स्थान वो आपको भी नहीं देना चाहते।" सुनंदा बोलकर जा चूकी