उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - अध्याय 2

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खाने पर चर्चा:- अरे आईये प्रथम जी। ये मेरे पापा है। नमस्ते अंकल। और ये मेरी मम्मी है। नमस्ते आंटी। बस खाना तैयार ही है आप अंदर आ जाइये और हाँथ धोकर डाइनिंग टेबल पर बैठ जाइये। ठीक है हाथ किधर धोऊँ। बस यहीं किचन से होकर आइये ना पीछे के आगंन में। बेसिन उधर है हाथ धो लिजिए। ये तो सरकारी क्वार्टर, है ना ? प्रथम ने पूछा।हाँ हम लोग तो जीवन भर ऐसे ही सरकारी क्वार्टर मे रहते आए हैं। सब एक ही जैसा होता है।प्रथम हाथ धोते-धोते अनु की ओर तिरछी नजर से बार-बार देख रहा था।अनुप्रिया असल में लंबी कद काठी की, गेहूआ रंग लिए,